CBSE Class-10 Syllabus 2018-19 (Hindi Course-A&B)

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CBSE Class-10 Syllabus 2018-19

(Hindi Course-A&B)

Syllabus :

व्याकरण बिंदु
कक्षा 10वीं

  • रचना के आधार पर वाक्य भेद
  • वाच्य
  • पद-परिचय 
  • रस

श्रवण व वाचन (मौखिक बोलना ) संबंधी योग्यताए

श्रवण (सुनना) कौशल

  • वखणात या पदठत सामग्र , वाताा, भाषण, पररचचाा, वाताालाप, वाद-वववाद, कववता-पाठ आदि का सुनकर अर्था ग्रहण करना, मूल्याींकन करना और अलभव्यष्तत के ींग को जानना।
  • वततव्य के भाव, ववनोद व उसमें तनदहत सींदेश, व्यींग्य आदि को समझना।
  • वैचारिक मतभेद होने पर भ वतता की बात को ध्यानपूवाक, धैयापूवाक व लशटिाचारानुकूल प्रकार से सुनना व वतता के दृष्टिकोण को समझना।
  • ज्ञानाजान मनोरींजन व प्रेरणा ग्रहण करने हेतु सुनना।
  • वततव्य का आलोचनात्मक ववश्लेषण करना एवं सुनकर उसका सार ग्रहण करना। श्रवण (सुनना) का परीक्षण : कुल 2.5 अंक (ढाई अंक)
  • परीक्षक ककस प्रासींधगक विषय पर एक अनुच्छेद का स्पष्ट वाचन करेगा। अनुच्छेद तथ्यात्मक या सुझावात्मक हो सकता है। अनुच्छेद लगभग 150 शब्दों का होना चादहए।

या

परीक्षक 2-3 लमनि का श्रव्य अींश (ऑडडयो ष्तलप) सुनवाएगा। अींश रोचक होना चादहए। कथ्य /घिना पूणा एवं स्पष्ट होन चादहए। वाचक का उच्चारण शुद् ध, स्पष्ट एवं ववराम धचह् नों के उधचत प्रयोग सदहत होना चादहए।

परीक्षक को सुनते-सुनते परीक्षार्थी अलग कागज पर दिए हुए श्रवण बोधन के अभ्यासों को हल कर सकेंगे।

  • अभ्यास ररतत स्र्थान पतू त,ा बहुववकल्प अर्थवा सत्य/असत्य का चुनाव आदि ववधाओ ीं में हो सकत े हैं।
  • अतत लघूत्तरात्मक 5 प्रश्न पूछे जाएँगे।
    वाचन (बोलना ) कौशल
  • बोलते समय भली प्रकार उच्चारण करना, गतत, लय, आरोह-अवरोह उधचत बलाघात व अनुतान
    सदहत बोलना, सस्वर कववता-वाचन, कर्था-कहान अर्थवा घिना सुनाना।
  • आत्मविश्वास , सहजता व धाराप्रवाह बोलना, कायाक्रम-प्रस्तुतत।
  • भावों का सष्ममश्रण जैसे - हषा, ववषाद, ववस्मय, आदर आदि को प्रभावशाली रूप से व्यतत करना, भावानुकूल सींवाद-वाचन।
  • औपचाररक व अनौपचाररक भाषा में भेद कर सकने में कुशल होना व प्रततकक्रयाओीं को तनयींत्रत्रत व लशटि भाषा में प्रकि करना।
  • मौखिक अलभव्यष्तत को क्रमबद् ध, प्रकरण की एकता सदहत व यर्थासींभव सींक्षक्षप्त रिना।
  • स्वागत करना, पररचय देना, धन्यवाद देना, भाषण, वाद-वववाद, कृतज्ञता ज्ञापन, सींवेदना व बधाई इत्यादद मौखिक कौशलों का उपयोग।
  • मींच भय से मुतत होकर प्रभावशाली ींग से 5-10 लमनि तक भाषण देना। वाचन (बोलना ) का परीक्षण : कुल 2.5 अंक (ढाई अंक)
  • धचत्रों के क्रम पर आधाररत वणानः इस भाग में अपेक्षा की जाएग कक परीक्षार्थी विवरणात्मक भाषा का प्रयोग करें।

    ककस धचत्र का वणान (धचत्र व्यष्तत या स्र्थान के हो सकते हैं)

  • ककस तनधााररत विषय पर बोलना ष्जससे वह अपने व्यष्ततगत अनुभव का प्रत्यास्मरण कर सके।
  • पररचय देना। 1 अींक
    (स्व/ पररवार/ वातावरण/ वस्तु/ व्यष्तत/ पयाावरण/ कवव /लेिक आदि )

आधे-आधे अींक के कुल त न प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

कौशलों क अतरण के मूल्यांकन

 

श्रवण (सनना)

 

वाचन(बोलना )

1

ववद्यार्थी म पररधचत सदभों म प्रयतत शब्दों और

पदों को समझन की सामान्य योग्यता ह, ककत ससबद्ध आशय को नहीीं समझ पाता।

1

ववद्यार्थी कवल अलग-अलग शब्दों और पदों

क प्रयोग की योग्यता प्रदलशत करता ह ककत एक ससबद्ध स्तर पर नहीीं बोल सकता।

2

छोि ससबद्ध कर्थनों को पररधचत सदभों में  समझन की योग्यता ह।

2

पररधचत सदभों में कवल छोि            ससबद् ध

कर्थनों का स लमत शद्धता से प्रयोग करता ह।

3

पररधचत ा अपररधचत  दोनों सदभों म कधर्थत

सचना  को   स्पष्ट समझन की योग्यता ह। अशद्धधयाँ करता   ह   ष्जससे प्रेषण म रूकावि आत  ह

3

अपेक्षक्षत   दीघ  भाषण  म  अधधक        जदिल

कर्थनों क प्रयोग की योग्यता प्रदलशत करता ह अभ भ    कछ       अशद्धधयाँ        करता ह। ष्जससे प्रेषण म रूकावि आत ह।

4

दीघ कर्थनों की शिला को पयाप्त शद् धता से

समझता ह और तनटकष तनकाल सकता ह।

4

अपररधचत ष्स्र्थततों म ववचारों को ताककक

ग से सगदठत कर धारा प्रवाह  रूप  म प्रस्तत कर सकता ह। ऐस गलततया करता ह ष्जनस प्रेषण म रूकावि नहीीं आत ।

5

जदिल कर्थनों क ववचार-त्रबदओीं को समझन की

ोग्यता प्रदलशत करता ह, उद्देश्य   क                            अनकल सनन की कशलता प्रदलशत करता ह।

5

उद् देश्य और श्रोता क ललए उपयतत शली

को अपना सकता ह कवल मामली गलततया करता ह।

टिप्पणी

  • परीक्षण से पूवा परीक्षार्थी को तैयारी के ललए कुछ समय ददया जाए।
  • विवरणात्मक भाषा में वतामान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है।
  • तनधााररत विषय परीक्षार्थी के अनुभव सींसार के हों, जैसे - कोई चुिकुला या हास्य-प्रसींग सुनाना,
    हाल में पढ़ी पुस्तक या देिे गए लसनेमा की कहान सुनाना।
  • जब परीक्षार्थी बोलना प्रारींभ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें।

    पठन कौशल

  • पठन क्षमता का मुख्य उद् देश्य ऐसे व्यष्ततयों का तनमााण करने में तनदहत है जो स्वतत्रीं रूप से धचतीं न
    कर सकें तर्था ष्जनमें न केवल अपने स्वयीं के ज्ञान का तनमााण करने की क्षमता हो अवपतु वे इसका
    आत्मावलोकन भ कर सकें ।

  • सरसरी दृष्टि से पढ़कर पाठ का कें द्रीय ववचार ग्रहण करना।
  • एकाग्रधचत हो एक अभ टि गतत के सार्थ मौन पठन करना।
  • पदठत सामग्र पर अपन प्रततकक्रया प्रकि करना।
  • भाषा, ववचार एवं शैली की सराहना करना।
  • सादहत्य के प्रतत अलभरूधच का ववकास करना।
  • सींदभा के अनुसार शब्दों के अर्था–भेदों की पहचान करना।
  • ककस ववलशटि उद् देश्य को ध्यान में रिते हुए तत्सींबींध ववशेष स्र्थल की पहचान करना।
  • पदठत सामग्र के ववलभन्न अींशों का परस्पर सींबींध समझना I
  • पदठत अनुच्छेदों के श षाक एवं उपश षाक देना।
  • कववता के प्रमुि उपादान - तुक, लय, यतत आदि से पररधचत कराना।

टिप्पणी : पठन के ललए सामाष्जक, साींस्कृततक , प्राकृततक, कलात्मक, मनोवैज्ञातनक, वैज्ञातनक तर्था िेल-कूद और मनोरींजन सींबींध सादहत्य के सरल अींश चुने जाएँ। शलिने की योग्यताएाँ

  • ललवप के मान्य रूप का ही व्यवहार करनाI
  • ववराम-धचह् नों का सही प्रयोग करनाI
  • लेिन के ललए सकक्रय (व्यवहारोपयोग ) शब्द भींडार की वृद् धध करना।
  • प्रभावपूणा भाषा तर्था लेिन-शैली का स्वाभाववक रूप से प्रयोग करना I
  • उपयुतत अनुच्छेदों में बाँिकर ललिना।
  • प्रार्थाना पत्र, तनमींत्रण पत्र, बधाई पत्र, सींवेदना पत्र, आदेश पत्र, एस.एम.एस आदि ललिना और
    ववववध प्रपत्रों को भरना।
  • ववववध स्रोतों से आवश्यक सामग्र एकत्र कर अभ टि विषय पर तनबींध ललिना।
  • देि हुई घिनाओीं का वणान करना और उन पर अपन प्रततकक्रया प्रकि करना।
  • पढ़ी हुई कहान को सवीं ाद में तर्था सवीं ाद को कहान में पररवततता करना।
  • समारोह और गोष्टठयों की सूचना और प्रततवेदन तैयार करना।
  • सार, सींक्षेप करण एवं भावार्था ललिना।
  • गद्य एवं पद्य अवतरणों की व्याख्या ललिना।
  • स्वानुभूत ववचारों और भावनाओीं को स्पष्ट सहज और प्रभावशाली ींग से अलभव्यतत करना।
  • क्रमबद् धता और प्रकरण की एकता बनाए रिना।
  • ललिने में मौललकता और सजानात्मकता लाना।
    रचनात्मक अशभव्यक्तत
  • वाद-वववाद
    विषय का चुनाव विषय–लशक्षक स्वयीं करें।
    आधार त्रबदीं ु – ताकका कता, भाषण कला, अपन बात अधधकारपवू का कहनाI
  • कवव सममेलनI
    पाठ्यपुस्तक में सींकललत कववताओीं के आधार पर कववता पाठ
    या
    मौललक कववताओँ की रचना कर कवव सममेलन या अींत्याक्षरी


आधार बिंदु

  • अलभव्यष्तत
  • गतत, लय, आरोह-अवरोह सदहत कववता वाचन
  • मींच पर बोलने का अभ्यास/या मींच भय से मुष्तत कहान सुनाना/ कहान ललिना या घिना का वणान/लेिन आधार बिंदु
  • सींवाद – भावानुकूल एवं पात्रानुकूल
  • घिनाओीं का क्रलमक विवरण
  • प्रस्तुत करण
  • उच्चारण
  • पररचय देना और पररचय लेना – पाठ्य पुस्तक के पाठों से प्रेरणा लेते हुए आधुतनक तरीके से ककस नए लमत्र से सींवाद स्र्थावपत करते हुए अपना पररचय सरल शब्दों में देना तर्था उसके विषय में जानकारी प्राप्त करना।
  • अलभनय कला-पाठों के आधार पर ववद्यार्थी अपन अलभनय प्रततभा का प्रदशान कर भाषा में सींवादों की अदायग का प्रभावशाली प्रयोग कर सकते हैं। नािक एक सामूदहक कक्रया है, अतः नािक के लेिन, तनदेशन सींवाद, अलभनय, भाषा व उद् देश्य इत्यादद को देिते हुए लशक्षक स्वयीं अींकों का तनधाारण कर सकता है।
  • आशुभाषण – ववद्याधर्थायों की अनुभव पररधध से सींबींधधत विषय।
  • सामूदहक चचाा – ववद्याधर्थायों की अनुभव पररधध से सींबींधधत विषय।


मूल्यांकन के संकेतो बिन्दुओ का विवरण

प्रस्तुतिकरण 

  • आत्मविश्वास
  • हाव-भाव
  • प्रभावश लता
  • ताककाकता
  • स्पष्टता

विषय वस्तु

  • विषय की सही अवधारणा
  • तका सममत

भाषा

  • शब्दचयन व स्पष्टता स्तर और अवसर के अनुकूल।

उच्चारण

  • स्पष्ट उच्चारण, सही अनुतान, आरोह-अवरोह पर अधधक बल।

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Courtesy: CBSE