(Download) CBSE: Class XII Hindi Elective Question Paper - 2018

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Question Papers For Board Examinations 2018

Class – XII

Subject – Hindi (Elective)


Subject :- हिन्दी (ऐच्छिक)

Class : XII

Year : 2018

खण्ड (क)

१. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में (२०-३० शब्दों में) लिखिए : १५

'दाँत'  इस दो अक्षर के शब्द तथा इन थोड़ी-सी छोटी-छोटी हडि्‌डयों में भी उस चतुर कारीगर ने वह कौशल दिखलाया है कि किसके मुँह में दाँत हैं जो पूरा वर्णन कर सके । मुख की सारी शोभा और सभी भोज्य पदार्थों का स्वाद इन्हीं पर निर्भर है । कवियों ने अलक,भ्रू तथा बरौनी आदि की छवि लिखने में बहुत रीति से बाल की खाल निकाली है पर सच पूछिए तो इन्हीं की शोभा से सबकी शोभा है । जब दाँतों के बिना पोपला-सा मुँह निकल आता है और चिबुक एवं नासिका एक में मिल जाती हैं, उस समय सारी सुधराई मिट्‌टी में मिल जाती है । कवियों ने इनकी उपमा हीरा, मोती, माणिक से दी है, यह बहुत ठीक है ।

यह वह अंग है जिसमें पाकशास्त्र के छहों रस एवं काव्यशास्त्र के नवों रस का आधार है । खाने का मज़ा इन्हीं से है । इस बात का अनुभव यदि आपको न हो तो किसी वृद्ध से  पूछ देखिए । केवल सतुआ चाटने के और रोटी को दूध में तथा दाल में भिगोकर गले के नीचे
उतारने के सिवाय दुनिया भर की चीज़ों के लिए वह तरस कर ही रह जाता होगा ।

सच है दाँत बिना जब किसी काम के न रहें तब पूछे कौन ? शंकराचार्य का यह पद महामंत्र है "अंगं गलितं पलितं मुडं दशनविहीनं जातं तुंडम्‌" आदि । एक कहावत भी है 

"दाँत खियाने, खुर घिसे, पीठ बोझ नहिं लेइ,
ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देइ ।"

आपके दाँत हाथी के दाँत तो हैं नहीं कि मरने पर भी किसी के काम आएँगे । आपके दाँत तो यह शिक्षा देते हैं कि जब तक हम अपने स्थान, अपनी जाति (दंतावली) और अपने काम में दृढ़ हैं, तभी तक हमारी प्रतिष्ठा है । यहाँ तक कि बड़े-बड़े कवि हमारी प्रशंसा करते
हैं । पर मुख से बाहर होते ही एक अपावन, घृणित और फेंकने वाली हड्‌डी हो जाते हैं । गाल और होंठ दाँतों का परदा हैं । जिसके परदा न  रहा अर्थात्‌ स्वजातित्व की ग़ैरतदारी न रही, उनकी निर्लज्ज ज़िंदगी व्यर्थ है । ऐसा ही हम उन स्वार्थ के अंधों के हक में मानते हैं जो रहे
हमारे साथ, बने हमारे साथ ही, पर सदा हमारे देश-जाति के अहित ही में  तत्पर रहते हैं ।  उनके होने का हमें कौन सुख ? दुखती दाढ़ की पीड़ा से मुक्ति उसके उखड़वाने में ही है । हम तो उन्हीं की जै-जै कार करेंगे जो अपने देशवासियों से दाँत काटी रोटी का बर्ताव रखत है ।

(क) कैसे कह सकते हैं कि दाँतों का निर्माण चतुर कारीगर ने किया है और इन्हीं की शोभा से सारी शोभा है ? २
(ख) कवियों ने दाँतों की उपमा किन वस्तुओं से दी है ? उपमा का कारण भी स्पष्ट कीजिए ? २

(ग) भोजन के आनंद में दाँतों का क्या योगदान है ? इसे समझने के लिए किसी वृद्ध के पास जाना क्यों ज़रूरी बताया है ? २
(घ) दाँतों की प्रतिष्ठा कब तक है ? मुख से बाहर होते ही उनके साथ भिन्न व्यवहार क्या  है ? 2

(ङ) शंकराचार्य के कथन और एक अन्य कहावत के द्वारा लेखक क्या समझाना चाहता है ? २
(च) गाल और होंठ दाँतों का परदा कैसे हैं ? उस परदे से क्या शिक्षा मिलने की बात कही गई है ? २

(छ) दाँतों की चर्चा में देश का अहित करने वालों का उल्लेख क्यों किया गया है ? लेखक के अनुसार उनसे कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए ? २
(ज) इस गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक सुझाइए । (अधिकतम ५ शब्द) १

२. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक लगभग २० शब्दों में) दीजिए : १x५=५

तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ ।
माँ, तुम्हारा ॠण बहुत है, मैं अकिंचन,
किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन ।

थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण ।
मान अर्पित, प्राण अर्पित
रक्त का कण-कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ ।

कर रहा आराधना मैं आज तेरी,
एक विनती तो करो स्वीकार मेरी ।
भाल पर मल दो चरण की धूल थोडी
शीष पर आशीष की छाया घनेरी
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण-क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ ।
तो‹डता हूँ मोह का बंधन क्षमा दो
गाँव मेरे, द्वार, घर, आँगन क्षमा दो
देश का जयगान अधरों पर सजा हो
देश का ध्वज हाथ में केवल थमा हो
सुमन अर्पित, चमन अर्पित
नी‹ड का तृण-तृण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ ।

(क) तन-मन अर्पित करने पर भी कुछ और देने की चाह क्यों है ?
(ख) मातृभूमि का ॠण चुकाने के लिए कवि अपनी किस भेंट को स्वीकार लेने का आग्रह कर रहा है ?
(ग) तन और मन का समर्पण कैसे हो सकता है ?
(घ) कविता में किस-किस से और क्यों क्षमा माँगी गई है ?
(ङ) कविता के संदर्भ में ‘चमनङ्क और ‘नी‹डङ्क का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए ।

खण्ड (ख)

३. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग ३०० शब्दों में निबन्ध लिखिए : १०

(क) आतंकवाद : एक विश्वव्यापी समस्या
(ख) लोकतंत्र और मीडिया
(ग) हिन्दी में रोज़गार की संभावनाएँ
(घ) थमती क्यों नहीं महँगाई

४. पत्रकारिता के क्षेत्र में अध्ययन पूरा करने के उपरांत पत्रकार के रूप में कार्य करने के लिए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को लगभग १५० शब्दों में एक आवेदन-पत्र लिखिए और यह भी उल्लेख कीजिए कि आप उसी पत्र के साथ क्यों जुडना चाहते हैं । ५

अथवा
राष्ट्रीय स्वच्छता-अभियान के लाभों और उसकी सीमाओं की समीक्षा करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को लगभग १५० शब्दों में पत्र लिखिए

५. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में, प्रत्येक २० ह्न ३० शब्दों में दीजिए : १x ५=५

(क) उलटा पिरामिड शैली से क्या तात्पर्य है ?
(ख) खोजी रिपोर्ट किसे कहते हैं ?
(ग) समाचार लिखने के छह ‘ककारोंङ्क के नाम लिखिए ।
(घ) प्रधान संपादक के दो कार्यों का उल्लेख कीजिए ।
(ङ) स्तंभ-लेखन से क्या तात्पर्य है ?

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