(Download) CBSE Class-12 Sample Paper And Marking Scheme 2017-18 : Hindi Adhaar
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प्रतिदर्श प्रश्न पत्र
परीक्षा - 2017-18
हिन्दी- ‘आधार’
कक्षा बारिवी
समय 3 घंटे
अधिकतम अंकः 100
1 निम्नलिखित गदयांष को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
अरस्तू के अनुसार त्रासदी के छह आवश्यक तत्व हैं: कथानक, चररत्र, ववचार, संभाषण, संगीत और दृश्यता। इनमें से पहले तीन तत्वों को कलाकृतत के आंतररक तत्वों के रूप में ललया जा सकता है और शेष तीन तत्वों को उसके बाहरी तीन तत्वों के रूप में। यह कहने की आवश्यकता नहीं कक बाहरी तत्वों की अपेक्षा आंतररक तत्वों का महत्व कहीं ज्यादा हुआ करता है। इन आंतररक तत्वों में भी सबसे पहले क्रम पर अरस्तु ने कथानक को रखा है। ध्यान देने की बात है कक अरस्तु ने कहानी की अपेक्षा कथानक शब्द का प्रयोग ककया है। प्रायः हम कहानी और कथानक इन दोनों शब्दों को एक ही अथथ में इस्तेमाल करने के आदी है, लेककन देखा जाए तो उन दोनों में बहुत अंतर है। कहानी का ककसी कृतत की संपूणथता से संबंि है जबकक कथानक का संबंि उस संपूणथ कहानी में से ललए गए ककसी प्रसंग ववशेष से हुआ करता है। यदद इसी बात को लेकर यूनानी नाटकों का उदाहरण ददया जाए तो राजा ईडिपस की तीन चौथाई कहानी नाटक आरंभ होने से पहले ही घदटत हो चुकी है। नाटककार ने मात्र राजा ईडिपस द्वारा सत्य का पता लगाने से सम्बद्ि घटनाओं को अपने नाटक का आिार बनाया है। स्पष्ट है कक उसने एक संपूणथ रचना में से प्रसंग ववशेष का चयन ककया । अरस्तू का मानना है कक कथानक ही सबसे मुख्य तत्व है जजस पर बाकी सारे तत्व आधित रहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो कथानक नाटक के शरीर की तरह है जजसमें बाकी सारे अंग जुिे रहते है। यहााँ हम याद कर सकते हैं कक भारत ने भी नाटक के शब्दों को उसके शरीर की संज्ञा दी है। इसमें कोई संदेह नहीं कक ककसी भी नाटक की समीक्षा अथवा आलोचना के ललए कथानक ही उस पहली कडी का काम करता है जजसके माध्यम से हम उसके दूसरे तत्वों तक पहुाँचते हैं।
(क) कलाकृतत के आंतररक तत्व से आप क्या समझते हैं ? 2
(ख) बाहरी तत्वों की अपेक्षा आंतररक तत्वों का महत्व ज्यादा होता है – कैसे ? 2
(ग) कथानक से आप क्या समझते हैं? 2
(घ) कहानी और कथानक के अंतर को स्पष्ट कीजजए। 2
(ड) नाटक के शब्दों को ‘नाटक का शरीर’ क्यों कहा गया है? 2
(च) नाटक के ललए कथानक को आप ककतना महत्वपूणथ मानते हैं? 2
(छ) त्रासदी के तत्वों में चररत्र और ववचार संभाषण में क्या अंतर है? 2
(ज) गद्यांश का उधचत शीषथक ललखखए। 1
2 तनम्नललखखत कावयांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर ललखखएः
हमारी सोच के दायरे में
हमारे ररश्तों के बेशकीमती नगीने हैं
मैं इसे छू लेना चाहती हूाँ
चलना चाहती हूाँ साथ-साथ
तुम्हारी परछाई की तरह
हमारे फूल-तुम्हारे नक्शे
तुम उलझे हुए आदमी हो
तुम सुलझा नहीं सके समय की लट को
तुमने नहीं सीखा खुलशयों से खेलना
तुम्हे नहीं आता सीिे-सरल सवालों के जवाब देना
तुमने तो यह भी नहीं समझा
कक िूबते हुए आदमी को ततनके का सहारा होता है
तुमने नहीं सीखा समंदर में उतरना
झंझावत भंवर कंु ि से नाव को बचाना
सीखा है बंद सात कोठरी के भीतर
चीखों को बंद करना
तुमने सीखा है अंकुश के बालों से सीने छलनी करना
सीख ललया गमथ कोलतार जैसे परमादेशों को देह पर कैसे दागा जाता
तुमने अपनी तनजी संस्कृ तत के हवन कंु ि में
जजंदा लोगों की आहुततयााँ दी हैं.......
पर वतथमान को यह पसंद नहीं
उगते हुए पौिे
तुम्हारे साए के पीछे-पीछे चल रहे हैं
वह ददन दूर नहीं
जब हमारी फुलवारी के फूल
तुम्हारे बनाए नक्शों को रौंदेंगे......1X5=5
(क) ररश्ते की तुलना नगीने से क्यों की गई है? 1
(ख) मनुष्य समय की लट को क्यों नहीं सुलझा पाता? 1