(डाउनलोड) एनसीईआरटी संस्कृत ( कक्षा 11-12) के संशोधित पाठ्यक्रम

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(डाउनलोड) एनसीईआरटी संस्कृत ( कक्षा 11-12) के संशोधित पाठ्यक्रम

भूमिका

संस्कृत विष्व की एक प्राचीनतम भाषा है। यह अधिकांष भारतीय भाषाओं की जननी एवं सम्पोषिका रही है। भारतीय संस्कृति, धर्म, दर्षन, अध्यात्म, इतिहास, पुराण, भूगोल, राजनीति एवं विज्ञान की मूल स्रोत संस्कृत भाषा आज भी भारत का गौरव एवं प्राण है तथा जीवन्त रचनात्मकता का साक्ष्य भी प्रस्तुत करती है। राष्ट्रीय भावात्मक एकता एवं अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना के विकास में संस्कृत का योगदान विषिष्ट रहा है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु मानवीय मूल्यों की उदात्त व्याख्या कर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्ष की स्थापना करना संस्कृत की एक अनुपम देन है। अतः राष्ट्र की इस अमूल्य निधि को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत करना आवष्यक है। संस्कृत को केवल एक प्राचीन भाषा मानना ही पर्याप्त नहीं है। आधुनिक संस्कृत अन्य भाषाओं की तरह भारतीय बहुभाषिकता की एक अभिन्न अंग भी है। जिस प्रकार संस्कृत अन्य भाषाओं के सीखने व बौद्धिक विकास में एक बहुभाषी कक्षा में सहायक सिद्ध होती है, ठीक उसी प्रकार संस्कृत सीखने में कक्षा में सहज उपलब्ध बहुभाषिकता का उपयोग किया जा सकता है। बहुभाषिकता के प्रति आदर एक ऐसा सषक्त दृष्टिकोण है, जिससे भाषा-षिक्षण की पूरी विधि ही बदल सकती है। श्रवण, भाषण, पठन एवं लेखन भाषा-कौषलों का विकास पाठांे पर ही आधारित होगा। यह आवष्यक है कि विद्यार्थियांे के लिए पाठ समग्र रूप मंे सार्थक हो, जिससे भाषा के सभी तत्व सहज ग्राह्य हो जायेंगे। इसी दृष्टिकोण से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर (कक्षा ग्प्.ग्प्प्) ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत के पठन-पाठन का प्रावधान किया गया है।

सामान्य उद्देष्य

इस स्तर पर संस्कृत के पठन-पाठन के उद्देष्य निम्नांकित हैं:

  • विद्यार्थियों में संस्कृत साहित्य के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करना तथा उसकी विविध विधाओं से परिचित कराना।
  • स्स्कृत भाषा के सामान्य ज्ञान को सुदृढ़ करना तथा उसकी प्रकृति से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
  • स्स्कृत भाषा के विविध प्रयुक्तियों एवं शैलियों से विद्यार्थियों को अवगत कराना ताकि वे यथावसर उनका उपयोग कर सकें।
  • अपने विचारों को संस्कृत भाषा में अभिव्यक्त करने की क्षमता विकसित कर सकना।
  • विद्यार्थियों में राष्ट्रीय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना जागृत करना।
  • विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास करना।
  • व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु विद्यार्थियों को प्रेरित करना।

विषिष्ट उद्देष्य

श्रवण

  •  संस्कृत के सरल पद्यों, गद्यांषों एवं नाट्यांषों को सुनकर तथा अभिनय को देखकर अर्थग्रहण करते हुए रसास्वादन कर सकना।

भाषण

  •  सरल प्रष्नों के संस्कृत में उत्तर देने की क्षमता उत्पन्न कर सकना।
  •  पठित विषयों पर सरल संस्कृत में अपने विचार व्यक्त कर सकना।
  •  संस्कृत सुभाषितों को कण्ठस्थ कर सस्वर सुना सकना।

वाचन (पठन )

  •  संस्कृत पद्यों का शुद्ध उच्चारण (लघु, गुरु, यति आदि का समुचित पालन) करते हुए, सस्वर पाठ करने की क्षमता उत्पन्न करना।
  •  संस्कृत गद्य का शुद्ध उच्चारण करते हुए वाचन की क्षमता उत्पन्न करना।
  •  संकलित नाट्यांषों का अभिनय पूर्वक वाचन करना।

लेखन

  •  संकलित नाट्यांषों का अभिनय पूर्वक वाचन करना।
  •  पठित विषयों पर सरल संस्कृत में अपना विचार लिख सकना।
  •  लोक का अन्वय एवं भावार्थ लिखने की क्षमता उत्पन्न करना।
  •  गद्यांषों, पद्यों एवं नाट्यांषों को सुनकर शुद्ध लिखने की क्षमता विकसित करना।

चिंतन

  •  विद्यार्थियों में संस्कृत साहित्य में उपलब्ध राष्ट्रीय भावनाओं तथा मानवीय मूल्यों का विकास करने के लिए प्रेरित करना।
  •  संस्कृत ग्रन्थों में उपलब्ध जीवनोपयोगी विविध ज्ञान-भण्डार से परिचित कराना जिससे विद्यार्थियों में मौलिक चिन्तन की प्रवृत्ति का विकास हो सके तथा प्राप्त ज्ञान को वे अपने मौलिक चिन्तन द्वारा आधुनिक जीवन के सन्दर्भों से जोड़ सके।

पाठ्य सामग्री

उपर्युक्त उद्देष्यों की पूर्ति के लिए कक्षा 11 तथा 12 के लिए निम्नलिखित पाठ्यसामग्री होगी:

1 संस्कृत पाठ्यपुस्तक
2 व्याकरण, छन्द एवं अलंकार की पुस्तक
3 संस्कृत साहित्य परिचय
4 संस्कृत लेखन (पत्र, लघुकथा, अनुच्छेद आदि)

कक्षा 11 तथा 12 के लिए एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाषित एक-एक पाठ्यपुस्तक होगी जिसमें 10-10 पाठ होंगे जिसमें संस्कृत साहित्य की प्रमुख विधाओं-गद्य, पद्य, नाटक का समावेष होगा। व्याकरण, छन्द एवं अलंकार के लिए एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाषित एक पृथक् पुस्तक होगी। संस्कृत साहित्य के इतिहास के लिए एक पुस्तक एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाषित होगी जिसमें संस्कृत वाङ्मय की विविध विधाओं एवं रचनाकारों तथा कृतियों के विषय में जानकारी उपलब्ध होगी। प्रत्येक पाठ्य-पुस्तक में लगभग 20 प्रतिषत अन्य भाषाओं का संस्कृत अनुवाद तथा 30 प्रतिषत नवीन मौलिक साहित्य का समावेष किया जाना चाहिए।

विषय-वस्तु

  • पाठ्यपुस्तक में पाठों का संकलन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि भारत की राष्ट्रीय अखण्डता, भावात्मक एकता तथा विष्वसंस्कृति के विकास में संस्कृत के योगदान, जीवन के विविध सन्दर्भ, केन्द्रिक घटक, नागरिकों के मूल कत्र्तव्य तथा जीवन मूल्यों का यथासंभव समावेष हो सके।
  •  पाठों का संकलन करते समय दोनों कक्षाओं की संस्कृत पाठ्यपुस्तकों में गद्य, पद्य एवं नाटक इन तीनों विधाओं का प्रतिनिधित्व होगा।
  •  संकलित पाठ्यांष सरल, रोचक तथा मानवीय मूल्यों पर आधारित होंगे।

 

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