CBSE Class-12 Exam 2017 : All India Scheme Question Paper (Hindi Elective)
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CBSE Class-12 Exam 2017 : All India Scheme Question Paper (Hindi Elective)
CBSE Class-12 Exam 2017 : Hindi Elective (Set-1)
हिन्दी (ऐच्छिक)
१. निम्नलिखित गद्यांश को प‹ढकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : १५
पतझ‹ड ॠतु आने पर जेल के हमारे आँगन में नीम के पे‹ड से पत्तों के गिरने पर मन में कभी-कभी qचता होने लगती है कि यह पे‹ड का काल आया है या उसका केवल कायापलट
हो रहा है ? यों तो पत्तों को गिरते देख कर मन में विषाद का भाव उत्पन्न होना चाहिए, qकतु ऐसा बिलकुल नहीं होता, उलटा मμजा आता है पत्ते इतने झ‹डते हैं मानो टिड्डी दल फैल
गया हो, मालू होता है पत्तों को कितने ही गोल-गोल चक्कर काटने प‹डते हैं उन्हें नीचे उतरने की थो‹डी भी जल्दी नहीं होती । और फिर गिरने के बाद क्या वे चुपचाप प‹डे रहेंगे ? नहीं, कदापि नहीं । छोटे बच्चे जिस प्रकार दौ‹डने का और एक-दूसरे को पक‹डने का खेल खेलते हैं, उसी प्रकार ये पत्ते भी इधर से उधर और उधर से इधर गोल-गोल चक्कर काटते रहते हैं । हवा के झोंकों के साथ ये हँसते-कूदते मेरी ओर दौ‹डे आते हैं । मुझे लगता है कि इन पत्तों को थो‹डी देर बाद पे‹ड से फूटने वाली कोंपलों को झटपट जगह दे देने की ही अधिक जल्दी होती होगी । साँप जिस
प्रकार अपनी केंचुली उतारकर फिर से जवान बनता है, उसी प्रकार पुराने पत्ते त्याग कर पे‹ड भी वसंत ॠतु का स्वागत करने के लिए फिर से जवान बनने की तैयारी करता होगा । इसीलिए
यह कहने का मन नहीं होता कि ये पत्ते टूटते हैं या गिरते हैं । ये पत्ते तो छूट जाते हैं । हाथ में पक‹ड रखा हुआ कोई पक्षी जैसे पक‹ड कुछ ढीली होते ही चकमा देकर उ‹ड जाता
है, उसी प्रकार ये पत्ते तेμजी से छूट जाते हैं । यह विचार भी मन में आता है कि ये पत्ते गिरने वाले तो हैं ही, तो फिर सबके सब एक साथ क्यों नहीं गिरते । पर्णहीन वृक्ष की मुक्त शोभा तो
देखने को मिलेगी । जिस पे‹ड पर एक भी पत्ता नहीं रहा और अँगुलियाँ टे‹ढी-मे‹ढी करके जो पागल के समान ख‹डा है और जो आकाश के पर्दे पर कालीन के चित्र के समान मालू हो रहा
है, उसकी शोभा कभी-कभी आपने ध्यान देकर निहारी है ? पर्णहीन टहनियों की जाली सचमुच ही बहुत सुन्दर दिखाई देती है ।
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CBSE Class-12 Exam 2017 : Hindi Elective (Set-2)
निम्नलिखित काव्यांश को प‹ढकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : १ ५=५
कम देकर, μज्यादा पाने की आदत बहुत बुरी है;
तन का पूरा प‹ड भी जाए, मन रीता रहता है !
कभी न चुकने वाला ॠण है, जीना बहुत कठिन है;
यों मरने तक हर जीने वाला जीता रहता है !
आते हैं फल उन वृक्षों पर जो न उन्हें खाते हैं;
छाँह जहाँ मिलती औरों को छत्र वहाँ छाते हैं;
गाते हैं जो गीत, कभी अपने न गीत गाते हैं
हे-हिमावत कब अपने हित हिम-आतप सहता है !
(क) किस आदत को बुरा कहा गया है ? क्यों ? १
(ख) ‘तन का पूरा प‹ड भी जाए, पर मन रीता रहता हैङ्क
काव्य-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए । १
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CBSE Class-12 Exam 2017 : Hindi Elective (Set-3)
निम्नलिखित गद्यांश को प‹ढकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : १५
पतझ‹ड ॠतु आने पर जेल के हमारे आँगन में नीम के पे‹ड से पत्तों के गिरने पर मन में कभी-कभी qचता होने लगती है कि यह पे‹ड का काल आया है या उसका केवल कायापलट
हो रहा है ? यों तो पत्तों को गिरते देख कर मन में विषाद का भाव उत्पन्न होना चाहिए, qकतु ऐसा बिलकुल नहीं होता, उलटा मμजा आता है पत्ते इतने झ‹डते हैं मानो टिड्डी दल फैल
गया हो, मालू होता है पत्तों को कितने ही गोल-गोल चक्कर काटने प‹डते हैं उन्हें नीचे उतरने की थो‹डी भी जल्दी नहीं होती । और फिर गिरने के बाद क्या वे चुपचाप प‹डे रहेंगे ? नहीं, कदापि नहीं । छोटे बच्चे जिस प्रकार दौ‹डने का और एक-दूसरे को पक‹डने का खेल खेलते हैं, उसी प्रकार ये पत्ते भी इधर से उधर और उधर से इधर गोल-गोल चक्कर काटते रहते हैं । हवा के झोंकों के साथ ये हँसते-कूदते मेरी ओर दौ‹डे आते हैं । मुझे लगता है कि इन पत्तों को थो‹डी देर बाद पे‹ड से फूटने वाली कोंपलों को झटपट जगह दे देने की ही अधिक जल्दी होती होगी । साँप जिस
प्रकार अपनी केंचुली उतारकर फिर से जवान बनता है, उसी प्रकार पुराने पत्ते त्याग कर पे‹ड भी वसंत ॠतु का स्वागत करने के लिए फिर से जवान बनने की तैयारी करता होगा । इसीलिए
यह कहने का मन नहीं होता कि ये पत्ते टूटते हैं या गिरते हैं । ये पत्ते तो छूट जाते हैं । हाथ में पक‹ड रखा हुआ कोई पक्षी जैसे पक‹ड कुछ ढीली होते ही चकमा देकर उ‹ड जाता
है, उसी प्रकार ये पत्ते तेμजी से छूट जाते हैं । यह विचार भी मन में आता है कि ये पत्ते गिरने वाले तो हैं ही, तो फिर सबके सब एक साथ क्यों नहीं गिरते । पर्णहीन वृक्ष की मुक्त शोभा तो
देखने को मिलेगी । जिस पे‹ड पर एक भी पत्ता नहीं रहा और अँगुलियाँ टे‹ढी-मे‹ढी करके जो पागल के समान ख‹डा है और जो आकाश के पर्दे पर कालीन के चित्र के समान मालू हो रहा
है, उसकी शोभा कभी-कभी आपने ध्यान देकर निहारी है ? पर्णहीन टहनियों की जाली सचमुच ही बहुत सुन्दर दिखाई देती है ।
(क) पे‹ड से पत्तों का झ‹डना-गिरना देखकर लेखक ने क्या सोचा और क्यों ? २
(ख) पत्तों की तुलना टिड्डी दल से क्यों की गई है ? २